History of Agrias

AGRIA'S

पारंपरिक लोक कथाओं के अनुसार
PART - 1

अघरिया राजपूत हैं, जो आगरा के निकट निवासरत थे जो लगभग 1550 ई0 में उड़ीसा व वर्तमान छत्तीसगढ़ में आए ।
-- तब वे दिल्ली के तत्कालीन शासक सिकंदर लोधी व आदिलशाह के अत्याचार से प्रताडि़त थे।
-- अघरिया सोमवंशी राजपूत थे जो स्वभाव से स्वाभिमानी थे।
-- वे राजा को भी बिना सिर झुकाए सलाम करते थे।    -- जिससे राजा ने सबक सिखाने के लिए तीन तरीका चुना
पहलाउन्हें कांधार युद्ध में झोंक दिया जाए,
दूसराउन्हें धर्मातंरित कर मुस्लिम बना दिया जावे, तीसराउनका सर कलम दिया जावे।

इस आशय की पूर्ति के लिए मुगल शासक ने दरवाजा में गर्दन की ऊंचाई तलवार को आढ़े लटका कर बांध दिया ताकि सिर नहीं झुकाने पर गर्दन कट जावे और उनका वंश समाप्त हो जावे।
-- परन्तु बुद्धिमान अघरिया ने राजा के चाल को भांप लिया और राजा के बुलावे में खुद न जाकर अपने दलित जाति के नौकर को अपने बदले राजा के दरबाज में भेजा, जहाॅं पर राजा ने नौकर के सिर को कलम कर दिया।
-- राजा की अपने प्रति खराब मंशा को भाप कर अपने व उस दलित नौकर के परिवार को साथ लेकर अघरिया परिवार तत्कालीन उड़ीसा रियासत (वर्तमान छत्तीसगढ़ राज्य के रायगढ़ व बिलासपुर जिले) के पश्चिमी क्षेत्र में आ गये।
-- तब से अघरिया अपने रक्षा के लिये बलिदान देने वाले दलित परिवार के वंशजों को समर्पण व सहानुभूति के साथ उनका भरण पोषण व देखभाल करते आ रहे है।

History of Agria's
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