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Showing posts from May, 2019

Agharias Marriage Awareness

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अघरिया विवाह  जागरूकता :-                                                       By-History of Agria's - ---अघरिया में बहुत से परिवारों के बीच जागरूकता के अभाव में वास्तविक गोत्र, जो कि मूलतः  ~~~परिवार के रक्त समूह पर आधारित रहा है, का ज्ञान नहीं होने के कारण रक्त प्रतिकूलता की वजह से समाज में अघरिया समाज में सिकल सेल एनीमिया नामक घातक बिमारी के लक्षण पाए जा रहे है।  -----फलस्वरूप वर्तमान समय में सभी अघरिया जनों से आग्रह है कि गोत्र के साथ ही विवाह तय करने के पूर्व वर-वधु के रक्त समूह का परीक्षण अनिवार्य रूप से कराएं ताकि घातक रोग के प्रकोप से भावी पीढ़ी को बचाया जा सके ।  ----वर्तमान में अघरिया समाज में सगोत्रीय व विजातीय विवाह पूर्णत प्रतिबंधित है जिसके उल्लंघन पर सामाजिक दंड का प्रावधान है। Agharia's Marriage Awareness-  ----In the absence of awareness amongst many families in Agharia, due to blood disorder ( ...

Agharias Business

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अघरिया का व्यवसाय  –                       By-History of Agria's  ----अघरिया मूलतः उन्नत कृषक के रूप में प्रतिष्ठित है ।  ----परन्तु अब खेती में आ रही कठिनाई को देखते हुए भावी पीढ़ी ने शिक्षा की ओर अग्रसर होकर शासकीय सेवाओं के साथा व्यवसायिक जगत में भी अपनी शानदार उपस्थिति दर्ज कराया है।  -----वर्तमान में उच्च प्रशासनिक सेवा, न्यायिक सेवा, विदेश सेवा के साथ ही अघरिया चिकित्सा, वकालत, यांत्रिकी व विभिन्न निजी व्यवसाय में भी सफल है। Agharia's business - ---- Agharia is basically reputed as an advanced farmer.  ----But now, in view of the difficulty in farming, the future generations have moved forward towards education and have registered their glorious presence in the business world along with government services.  ----Presently, in the form of high administrative services, judicial service, foreign service, Agharia is also successful in medicine, advocacy, mechanics and various private b...

Agrias Adorable God and Paternal Men

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Agria's Adorable God & Paternal Men         By-History Of Agria's  अघरिया के आराध्य देव व पितृ पुरूष :- --- अघरिया महाभारत के विदुर के दो पुत्र बैरानु एवं पुरामने के वंशज माने जाते है जिसके कारण अघरिया अपने आप के विदुर बंशीय क्षत्री भी कहते हैं ।  ---कहीं कहीं पर सोमवश्ंाी क्षत्रीय भी कहा जाता है।  ---यह बात स्पष्ट रूप से स्थापित है कि अघरिया जाति क्षत्रीय हैं जो किसी के समक्ष सिर झुकाना स्वीकार नहीं करते थे तथा अपने स्वभाव व प्रकृति के अनुरूप कटार रखते थे। विदुर वशीय होने के कारण भगवान श्री कृष्ण ही अघरिया के आराध्य देव के रूप में आज भी स्वीकार कर पूजनीय है  ।  ---अघरिया शुरू से ही धर्म, वेद-पुराण के साथ आस्थावान है तथा तीर्थाटन, धर्म गुरूओं के प्रति समर्पण के साथ हिन्दु धर्मावलम्बी रहा है। Source ~ Internet By Fb-History Of Agrias